
समानता की राह पर आगे बढ़ता हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU) एक ऐसी पहल की दिशा में कदम बढ़ा रहा है जो न हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय बनेगा बन सकती है। विश्वविद्यालय को अब ‘मॉडल विकलांग सुलभ हिल यूनिवर्सिटी’ के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस प्रयास का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दिव्यांग छात्र भी उच्च शिक्षा के हर अवसर तक समान रूप से पहुँच सकें और किसी भी प्रकार की शारीरिक चुनौती उनके ज्ञान और प्रतिभा के रास्ते में बाधा न बने।
विश्वविद्यालय के कुलपति सिकंदर कुमार ने इस पहल की जानकारी देते हुए बताया कि इस दिशा में कई ठोस कदम पहले ही उठाए जा चुके हैं। हिमाचल की पहाड़ियों पर बसा यह विश्वविद्यालय अब उस दिशा में बढ़ रहा है जहाँ शिक्षा सच में सबके लिए समान होगी — चाहे वह कोई भी परिस्थिति क्यों न हो।
दृष्टिबाधित छात्रों के लिए सुलभ पुस्तकालय
इस पहल के तहत विश्वविद्यालय में एक सुलभ पुस्तकालय (Accessible Library) स्थापित किया गया है, जो दृष्टिबाधित छात्रों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यहाँ छात्र टॉकिंग सॉफ्टवेयर की मदद से कंप्यूटर पर किताबें सुन सकते हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने घोषणा की है कि इस पुस्तकालय में इस माह के अंत तक 17 नए कंप्यूटरों का एक विशेष सेक्शन भी जोड़ा जाएगा, ताकि अधिक से अधिक छात्र इसका लाभ उठा सकें।
विश्वविद्यालय का वेब पोर्टल भी अब पूरी तरह से दृष्टिबाधित विद्यार्थियों के लिए सुलभ बना दिया गया है। यह तकनीकी परिवर्तन यह दर्शाता है कि HPU शिक्षा के क्षेत्र में समावेशिता (inclusivity) को अपनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष सुविधाएं और अवसर
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय पहले से ही दिव्यांग छात्रों को मुफ्त शिक्षा, छात्रवृत्ति, सीटों में 5% आरक्षण और नौकरियों में 4% आरक्षण प्रदान कर रहा है। ये कदम यह सुनिश्चित करते हैं कि आर्थिक या शारीरिक सीमाएँ किसी छात्र के भविष्य को प्रभावित न करें।
इस वर्ष विश्वविद्यालय ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है — 7 दिव्यांग छात्र, जिनमें से 5 दृष्टिबाधित हैं, ने UGC-NET परीक्षा उत्तीर्ण कर राज्य का मान बढ़ाया है। यह उपलब्धि न केवल इन छात्रों की मेहनत का परिणाम है, बल्कि विश्वविद्यालय के समर्थन और समावेशी वातावरण का भी प्रमाण है।
प्रतिभा जो प्रेरणा बन गई — मुस्कान और श्वेता की कहानी
कुलपति सिकंदर कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय की छात्रा मुस्कान, जो एक प्रतिभाशाली गायिका हैं, ने पूरे प्रदेश का गौरव बढ़ाया है। भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने उन्हें पिछले विधानसभा चुनावों में ब्रांड एंबेसडर के रूप में चुना था। आज मुस्कान संयुक्त राज्य अमेरिका में अपने गायन से देश का नाम रोशन कर रही हैं।
उनके पदचिन्हों पर चलते हुए एक और दृष्टिबाधित छात्रा श्वेता शर्मा भी संगीत के क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं। यह उदाहरण बताते हैं कि जब संस्थान छात्रों को सही मंच देता है, तो उनकी सीमाएँ उनकी शक्ति में बदल जाती हैं।
समावेशी शिक्षा की ओर एक मजबूत कदम
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का यह प्रयास सिर्फ एक संस्थागत सुधार नहीं, बल्कि एक सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक है। यह पहल यह संदेश देती है कि शिक्षा तभी सार्थक है जब वह सबके लिए समान अवसर प्रदान करे।
‘मॉडल विकलांग सुलभ हिल यूनिवर्सिटी’ बनने की दिशा में यह कदम भारत के अन्य विश्वविद्यालयों के लिए भी एक उदाहरण बनेगा। हिमाचल की वादियों में बसा यह विश्वविद्यालय अब उन आवाज़ों को सुन रहा है जो लंबे समय से अनसुनी थीं — वे आवाज़ें जो अब शिक्षा के माध्यम से अपनी पहचान बना रही हैं।
निष्कर्ष
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का यह अभियान न केवल दिव्यांग छात्रों के लिए सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक नई सोच को जन्म दे रहा है। यह पहल इस विश्वास को मजबूत करती है कि जब संस्थाएं संवेदनशील और समावेशी बनती हैं, तो वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाती हैं।
दृष्टिबाधित और अन्य दिव्यांग छात्रों के लिए HPU का यह कदम यह सिद्ध करता है कि शिक्षा की असली ताकत समानता और मानवता में निहित है।
अस्वीकरण (Disclaimer):
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों और समाचार रिपोर्टों पर आधारित है। हम इसकी सटीकता या पूर्णता की गारंटी नहीं देते। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी आधिकारिक जानकारी के लिए विश्वविद्यालय के संबंधित विभाग से संपर्क करें।