
आपातकाल में मोबाइल टॉवर को बिजली देने के लिए Renault और A1 ने शुरू किया V2L परीक्षण
आज की दुनिया में, बिजली का होना और मोबाइल नेटवर्क का लगातार चलना हमारे जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है, यह शायद ही किसी को बताने की ज़रूरत हो। लेकिन अचानक बिजली कट जाए या कोई बड़ा ब्लैकआउट हो जाए, तो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी और आपातकालीन संचार दोनों ही बाधित हो सकते हैं। ऐसे में Renault ऑस्ट्रिया और मोबाइल प्रदाता A1 ने एक अनूठा कदम उठाया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसी स्थितियों में भी मोबाइल नेटवर्क काम करता रहे।
V2L तकनीक क्या है?
V2L यानी Vehicle-to-Load तकनीक, इलेक्ट्रिक वाहनों की हाई-वोल्टेज बैटरी से सीधे किसी उपकरण या सिस्टम को बिजली देने की सुविधा प्रदान करती है। इसे आमतौर पर पावर टूल्स या छोटे उपकरणों को चार्ज करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन Renault और A1 ने इसे एक नए तरीके से आज़माया है। उन्होंने V2L तकनीक के माध्यम से मोबाइल फोन मस्त (Cell Tower) को आपातकालीन बिजली सप्लाई देने का परीक्षण शुरू किया है।
इस परियोजना के तहत, Renault के V2L सक्षम Renault 5 E-Tech Electric और Renault 4 E-Tech Electric मॉडलों का उपयोग मोबाइल टॉवर को आवश्यक बिजली देने के लिए किया जाएगा। इसका अर्थ यह है कि यदि कभी मुख्य बिजली स्रोत बंद हो जाए, तो ये इलेक्ट्रिक वाहन अपने बैटरियों से सीधे मोबाइल स्टेशन को बिजली प्रदान कर सकते हैं।

इलेक्ट्रिक कार से मोबाइल टावर को आपातकाल में लाभ
Christian Zeindlhofer, जो A1 में जोखिम और लचीलापन प्रबंधन के प्रमुख हैं, कहते हैं कि “आपातकाल में, एक इलेक्ट्रिक कार को मोबाइल पावर बैंक की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे ऑपरेशन लंबे समय तक चलता रहे।”
A1 का दृष्टिकोण यह है कि भविष्य में एक प्रकार का देशव्यापी नेटवर्क तैयार किया जाए, जिसमें V2L सक्षम वाहन आपातकालीन ऊर्जा भंडारण प्रणाली का हिस्सा बनें। इससे किसी भी ब्लैकआउट या प्राकृतिक आपदा की स्थिति में मोबाइल टॉवर काम करता रहेगा और आपातकालीन संचार प्रभावित नहीं होगा।
हालांकि यह पहल फिलहाल केवल Raasdorf, वियना और आसपास के क्षेत्रों तक सीमित है, लेकिन इसका महत्व बहुत व्यापक है। जैसे-जैसे अधिक इलेक्ट्रिक वाहन V2L सक्षम होंगे, यह प्रणाली ऑस्ट्रिया, यूरोप और दुनिया के अन्य हिस्सों में भी अपनाई जा सकती है।
पर्यावरण और सततता की दृष्टि से फायदे
पारंपरिक रूप से, मोबाइल टॉवर ब्लैकआउट के समय केवल डीज़ल जनरेटर से संचालित होते थे। यह महंगा, शोर करने वाला और प्रदूषणकारी होता है। V2L प्रणाली न केवल किफायती है, बल्कि CO2 मुक्त भी हो सकती है, बशर्ते कि वाहन की बैटरी को हर बार हरित ऊर्जा (Green Electricity) से चार्ज किया गया हो।
इस नई प्रणाली की लचीलापन क्षमता भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। आपातकाल में इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी का उपयोग करके मोबाइल टावर को तुरंत बिजली प्रदान की जा सकती है। यह न केवल सुरक्षा और संचार को सुनिश्चित करता है, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं, तकनीकी विफलताओं या किसी भी बड़े बिजली कटौती की स्थिति में जीवन रेखा का काम करता है।
निष्कर्ष
Renault और A1 की यह पहल तकनीक, सुरक्षा और पर्यावरण के बीच संतुलन का बेहतरीन उदाहरण है। भविष्य में V2L तकनीक केवल मोबाइल टावर ही नहीं, बल्कि अस्पताल, आपातकालीन केंद्र और अन्य आवश्यक अवसंरचना को भी आपातकालीन ऊर्जा प्रदान करने में सहायक हो सकती है।
इस परियोजना ने दिखा दिया है कि इलेक्ट्रिक वाहन केवल यात्रा के साधन नहीं हैं, बल्कि वे हमारी रोजमर्रा की जिंदगी और आपातकालीन स्थितियों में एक शक्तिशाली ऊर्जा स्रोत बन सकते हैं। V2L तकनीक के माध्यम से, हमारी आपातकालीन तैयारियों में नई क्रांति आ सकती है।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी उपलब्ध रिपोर्ट्स और प्रेस विज्ञप्तियों पर आधारित है। भविष्य में वास्तविक तकनीकी विवरण और कार्यान्वयन में बदलाव संभव है।