
भविष्य के CHRO टेक्नोलॉजी, टैलेंट और ट्रांसफॉर्मेशन का संगम
आज का दौर कामकाज और संगठनात्मक संस्कृति में तेज़ी से बदलाव ला रहा है। पहले जहां मानव संसाधन (HR) को केवल भर्ती, पेरोल और अनुपालन तक सीमित समझा जाता था, वहीं अब यह भूमिका बदलते समय की धड़कन बन गई है। आने वाले वर्षों में CHRO (चीफ़ ह्यूमन रिसोर्सेज ऑफिसर) सिर्फ़ एक प्रशासनिक अधिकारी नहीं रहेंगे, बल्कि संगठन की रणनीति, विकास और भविष्य की दिशा तय करने वाले अहम नेता बनेंगे।
2030 तक CHRO की भूमिका पूरी तरह बदल जाएगी। अब उनसे केवल कर्मचारियों को मैनेज करने की उम्मीद नहीं होगी, बल्कि उन्हें संगठन को आगे बढ़ाने, उसकी वैल्यू और पर्पज़ को परिभाषित करने और नए बिज़नेस मॉडल बनाने में नेतृत्व करना होगा। यही कारण है कि HR का दायरा अब समर्थन से आगे बढ़कर “एंटरप्राइज़ एक्सेलरेटर” बनने तक पहुँच गया है।
बदलती भूमिका, बढ़ती ज़िम्मेदारियाँ
EY की एक ताज़ा रिपोर्ट ने यह साफ़ कर दिया है कि HR नेताओं से अपेक्षाएँ पहले से कहीं अधिक बढ़ गई हैं। 85% नियोक्ता मानते हैं कि 2030 तक रणनीतिक HR उनकी सफलता का आधार होगा, लेकिन 89% का कहना है कि मौजूदा HR मॉडल को बदलना बेहद ज़रूरी है। इसका मतलब है कि आने वाले CHRO को केवल प्रक्रियाओं तक सीमित न रहकर वास्तविक व्यावसायिक परिणामों के लिए ज़िम्मेदारी लेनी होगी।
अब CHRO को “टैलेंट के संरक्षक” से आगे बढ़कर “बिज़नेस वैल्यू क्रिएटर” बनना होगा। उन्हें न सिर्फ़ राजस्व और उत्पादकता लक्ष्यों के साथ टैलेंट रणनीति को जोड़ना होगा, बल्कि बदलते भू-राजनीतिक हालात, उभरते मार्केट और टेक्नोलॉजी के साथ तालमेल बिठाकर संगठन को प्रतिस्पर्धा में आगे रखना होगा।
तकनीक से नई उड़ान
इस नए दौर का सबसे बड़ा सहारा टेक्नोलॉजी होगी। आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, डेटा-आधारित निर्णय और ऑटोमेशन केवल HR की कार्यक्षमता को नहीं बढ़ाएंगे, बल्कि कर्मचारी अनुभव को भी पूरी तरह बदल देंगे। जनरेटिव AI जैसी तकनीकें लागत कम करने, बेहतर निर्णय लेने और कर्मचारियों और संगठन के बीच सार्थक जुड़ाव बनाने में मदद कर सकती हैं।
लेकिन यहाँ एक बड़ी चुनौती भी है—इन तकनीकों का ज़िम्मेदाराना उपयोग। विश्वास और नैतिकता को बनाए रखते हुए इन नवाचारों को अपनाना ही CHRO की असली परीक्षा होगी।
HR बिज़नेस पार्टनर का नया स्वरूप
अब HR बिज़नेस पार्टनर की भूमिका भी बदलने जा रही है। पहले जहाँ वे केवल नीतियों के कार्यान्वयन पर ध्यान देते थे, अब वे रणनीतिक सलाहकार के रूप में काम करेंगे। बिज़नेस की प्राथमिकताओं और टैलेंट एक्शन को जोड़ते हुए, वे रियल-टाइम में नेताओं को गाइड करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि हर निर्णय संगठन की व्यावसायिक सफलता से जुड़ा हो।
आगे की राह
भविष्य का CHRO एक साथ कई मोर्चों पर नेतृत्व करेगा—AI को अपनाने से लेकर संगठन की संस्कृति बदलने तक, वर्कफ़ोर्स प्लानिंग से लेकर नए रिवार्ड मॉडल बनाने तक। यह चुनौती आसान नहीं है, लेकिन इसमें अपार अवसर छिपे हैं।
2030 तक वे CHRO सफल कहलाएंगे, जो तकनीक को गले लगाएंगे, टैलेंट को सशक्त बनाएंगे और संगठन को सिर्फ़ टिकाऊ ही नहीं, बल्कि प्रेरणादायी भी बनाएंगे। आने वाले दशक का विकास उन्हीं संगठनों के हाथों में होगा, जो लोगों की असली शक्ति को पहचानेंगे—और इस शक्ति को दिशा देने में CHRO सबसे अहम भूमिका निभाएँगे।
डिस्क्लेमर: यह लेख उपलब्ध जानकारी और शोध के आधार पर लिखा गया है। इसका उद्देश्य केवल शैक्षिक और सूचनात्मक है। इसमें प्रस्तुत विचार किसी विशेष संस्था या व्यक्ति की आधिकारिक राय का प्रतिनिधित्व नहीं करते।