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भारत की स्मार्टफोन क्रांति: ड्रॉअर से निकलेंगे 219 अरब डॉलर

By: Anjon Sarkar

On: Thursday, September 25, 2025 2:43 PM

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भारत की स्मार्टफोन क्रांति ने देश में डिजिटल बदलाव को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है, जिससे कनेक्टिविटी, ई-कॉमर्स और डिजिटल सेवाओं का तेज़ी से विस्तार हो रहा है।: 219 अरब डॉलर की नवीनीकृत स्मार्टफोन क्रांति

क्या आपके घर की अलमारी या दराज में भी पुराने मोबाइल फोन धूल खा रहे हैं? अगर हां, तो आप अकेले नहीं हैं। देशभर में करोड़ों लोग अपने पुराने फोन को यूं ही संभाल कर रखते हैं, जबकि वही डिवाइस किसी और के लिए नई उम्मीद और किफायती स्मार्टफोन का जरिया बन सकते हैं। यही है भारत की “ड्रॉअर इकॉनमी”, जिसे अगर सही दिशा दी जाए, तो यह आने वाले समय में भारत की सबसे बड़ी आर्थिक और तकनीकी क्रांतियों में से एक बन सकती है।

नवीनीकृत स्मार्टफोन्स का बढ़ता आकर्षण

भारत में प्री-ओन्ड और रिफर्बिश्ड स्मार्टफोन मार्केट लगातार तेजी से बढ़ रहा है। नए फोन की आसमान छूती कीमतों ने आम उपभोक्ता को मजबूर किया है कि वह बेहतर विकल्प खोजे। इसी बीच नवीनीकृत स्मार्टफोन्स ने लोगों का भरोसा जीता है। ये सिर्फ सेकेंड-हैंड फोन नहीं होते, बल्कि पूरी तरह जांचे-परखे, जरूरत पड़ने पर पुर्ज़े बदले हुए और अक्सर नई बैटरी के साथ आने वाले डिवाइस होते हैं। यही वजह है कि इन्हें खरीदने वालों की संख्या हर साल बढ़ रही है।

कैशिफाई की लेटेस्ट रिपोर्ट बताती है कि 2024 में भारत ने 151 मिलियन रिफर्बिश्ड स्मार्टफोन शिप किए। 2025 की पहली छमाही में हर 5 में से 3 खरीदारों ने आईफोन चुना। एप्पल ने इस बाजार में 62.9% हिस्सेदारी हासिल की है, जबकि वनप्लस, शाओमी और सैमसंग जैसे ब्रांड भी पीछे नहीं हैं।

ड्रॉअर इकॉनमी: छुपा हुआ खजाना

रि-कॉमर्स प्लेटफॉर्म कैशिफाई के सीईओ मनीदीप मनोचा के अनुसार, भारत की असली चुनौती “ड्रॉअर इकॉनमी” है। उनका कहना है कि लाखों डिवाइस लोगों की दराजों में यूं ही पड़े रहते हैं, जिनकी कीमत हर दिन घटती जाती है। सर्वे के अनुसार 70% लोगों के पास 2-3 पुराने फोन बेकार पड़े हैं। अगर इन्हें इस्तेमाल में लाया जाए, तो न केवल उपभोक्ताओं को फायदा होगा, बल्कि यह सेक्टर 2033 तक 219 अरब डॉलर का हो सकता है।

नए युग की शुरुआत: भरोसा और स्थिरता

दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में रिफर्बिश्ड फोन की खरीद सबसे ज्यादा है, लेकिन छोटे शहर भी तेजी से इस दौड़ में शामिल हो रहे हैं। कंट्रोलZ जैसी स्टार्टअप कंपनियां तो अब बांस से बने स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग प्लांट तक लॉन्च करने जा रही हैं। वहीं गूगल ने कैशिफाई के साथ मिलकर सर्टिफाइड रिफर्बिश्ड पिक्सल फोन भारत में लॉन्च करने का ऐलान किया है।

फ्लिपकार्ट भी अपने नए एक्सचेंज प्रोग्राम से इस लहर को और मजबूत बना रहा है, जिसमें पुराना फोन सिर्फ नया फोन ही नहीं बल्कि लैपटॉप तक खरीदने का जरिया बन सकता है। बैंक और फिनटेक कंपनियां भी इस इकोसिस्टम को सपोर्ट कर रही हैं, ताकि उपभोक्ताओं को आसान किस्तों और डिस्काउंट का फायदा मिल सके।

उम्मीदों से भरा भविष्य

नवीनीकृत स्मार्टफोन सिर्फ तकनीक तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह उपभोक्ताओं के लिए एक भरोसेमंद और टिकाऊ विकल्प भी हैं। यह सेक्टर न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा, बल्कि पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होगा। कम ई-वेस्ट, ज्यादा इस्तेमाल और स्थिरता की दिशा में यह कदम बहुत बड़ा साबित हो सकता है।

आने वाले वर्षों में “ड्रॉअर इकॉनमी” से निकलकर भारत दुनिया के सबसे बड़े रि-कॉमर्स हब के रूप में उभरेगा। और तब शायद आपके पुराने फोन की भी किसी और की जिंदगी में नई चमक होगी।


डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सभी जानकारी विभिन्न रिपोर्ट्स और सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित है। यह केवल सूचना साझा करने के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी आर्थिक या खरीद निर्णय से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना उचित होगा।

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